गीत- होगा भला तू...
छंद-
द्विगुणित इंद्रवज्रा (वार्णिक)
मापनी- 221
221 121 22
होगा भला तू करना भलाई, नेकी हमेशा गुणगान देगी.
होगी बदी
से वरना बुराई, बैठे बिठाये नुकसान देगी.
होगा
भला....
संस्कार
से जो तय है मिलेगा,
है
कर्मयोगी तब ही फलेगा,
जो तू
बिछाये पथ में न काँटे,
आसान तू
जीवन को जिएगा
ज्यादा
मिलेगा मत सोचना तू, तो कर्मणा भी कम ध्यान देगी.
होगा
भला....
जो भी चला
है बरबाद राहें,
अच्छाइयों
से लड़ना पड़ा है,
साथी न कोई
मितवा मिलेगा,
सौदाइयों में रहना पड़ा है
जो भी जिया
है मिलबाँट के ही, तो जिंदगी भी अनुदान
देगी.
होगा
भला....
जो भी चला
है प्रतिकूल राहें
कैसे
टिकेगा वह आँधियों में,
जो जिंदगी
के अनुकूल होगा,
वो ही
रहेगा खुश वादियों में
कश्ती
बचेगी मझधार में भी, तूफान में भी पहचान देगी.
होगा
भला....
सारा जमाना
उस का हुआ है,
पीछे हटा
ना जब फैसलों से
ना वक्त
खोया ना तक गँवाई,
दूरी घटी
है तब फासलों से,
जो हौसलों
के बल से उड़ें हैं, ऐसी उड़ानें यश मान देगी.
होगा
भला....
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1.10.2020
बहुत ही अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआभार मित्र.
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