सवाईमाधोपुर- रावतभाटा अंक, जनवरी-मार्च 1997
वंदना
जय मातृभूमि तुझको सादर हो सिर नवाऊँ.
श्रद्धा के सुमन तेरे चरणों में मैं
चढ़ाऊँ.
परिपूर्ण नीर सरिता, गंभीर, धीर,
सागर,
रक्षक है उच्च हिमगिरि मैं गर्व से
बताऊँ.
रत्नों से भरी वसुधा, बहुमूल्य
सम्पदा है,
धनधन्ययुक्त है आँचल, छाया उसी की
पाऊँ.
तू त्यागमूर्ति माता मम, भाग्य की
विधाता,
निस्स्वार्थ विनय सेवा, सत्कार्य
से सिखाऊँ.
जप, तप, ज्ञान, विद्या और वेदों की
सार गीता,
सब धर्म की है जननी, महिमा मैं
बताऊँ.
हे पुण्यभूमि भारत रहे ऊँचा भाल
तेरा,
है कामना ये मेरी तेरे ही गीत गाऊँ.
यह गान तेरा गूँजे, बाजे विजय की
भेरी,
बलिदान की लगन में ज्योति हृदय
जलाऊँ.
गौरव की गाथा तेरी जय मंच पर
सुनाऊँ.
जय मातृभूमि तेरे चरणों में सिर
निवाऊँ.
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01.10.2020
महापुरा विशेषांक, अप्रेल-सितम्बर 1997
पन्द्रह
अगस्त पन्द्रह अगस्त
स्वाधीन सूर्य का हुआ उदय, पन्द्रह
अगस्त पन्द्रह अगस्त.
जागो जागो, निद्रा त्यागो, आलस, तम
अरु भय को त्यागो.
फैला प्रकाश गया अंधकार, उठो सँवारो
जान सत्य.
पन्द्रह अगस्त ..........
राष्ट्र हमारा अपना है, हर कार्य
हमारा अपना है.
पलकों में स्वर्णिम सपना है,
दु:शासन का है हुआ अस्त.
पन्द्रह अगस्त..........
परतन्त्र नहीं स्वतन्त्र हैं, यह
प्रजातन्त्र का राज है.
प्रगति हेतु हम करें परिश्रम, देकर
भी अपने प्राण रक्त.
पन्द्रह अगस्त..........
हर क्षेत्र में भारत आगे हो, ऐसा
इतिहास बनाना है.
पहिचानना है स्वयं शक्ति को, नहीं
खोना है अनमोल वक्त.
पन्द्रह अगस्त..........
सुवर्ण जयन्ति का यह वर्ष, बड़ी
प्रतीक्षा से आया है.
श्रद्धानत हो करना स्वागत, पन्द्रह
अगस्त पन्द्रह अगस्त.
पन्द्रह अगस्त.........
‘ज्योति’ जगा के करें प्रतिज्ञा,
नियम सदा निभाना है.
सुवर्ण जयन्ति वर्ष राष्ट्र का सभी मनायें मिल मस्त.
पन्द्रह अगस्त..........
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