बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

सम्‍पादकीय

साथियो,

प्रवेशांक से पूर्व एक झलक के रूप में पत्रिका का ब्‍लॉग रूप आपके समक्ष है. 'सान्निध्‍य स्रोत' का काव्‍य संस्‍करण 'काव्‍य निर्झरिणी' के रूप में आपके अवलोकनार्थ प्रस्‍तुत है. प्रयास है कि जनवरी-मार्च, 2021 से तैयार की जा रही वेब पत्रिका आरंभ की जाये. ब्‍लॉग से जुड़ें और इसके व्‍यापक प्रचार-प्रसार के लिए इसका अनुसरण करें. अधिक से अधिक समाज बंधुओं को जोड़े. जो तकनीकी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, उनसे पूछें कि वेब पत्रिका भी समग्र वैचारिक (साहित्य सामग्री) सहयोग से ही सम्‍पन्‍न बनती है. इसे बनाना भी कितना दुष्‍कर है. इसलिए समाज की पहली वेब पत्रिका के लिए मेरी तरह आप भी पहल करें और ज्‍यादा से ज्‍यादा सामग्री 'सान्निध्‍य स्रोत' के फेसबुक पेज पर उपलब्‍ध करवायें (केवल काव्‍य). हमारा समाज काव्‍य सम्‍पन्‍न है. सम्‍पूर्ण संस्‍कृत वाड्.मय छंदोबद्ध है, इस दृष्टि से हमारे समाज में काव्‍य का सुप्‍त सागर है, जिसे दुनिया के समक्ष लाना हे, जो बिना सहयोग के संभव नहीं.इस ब्‍लॉग में मात्र दो रचनाकारों ने अपना सहयोग दिया है वे हैं जयपुर से श्री भानु भारवि और अहमदाबाद से श्री विभास . शेष मेरे ब्‍लॉग से अपने सजातीय बंधुओं की रचना सम्मिलित की है. साथ ही 'सान्न्ध्यि स्रोत' के पुराने अंकों में प्रकाशित समाज बंधुओं की रचनायें भी इसमें सम्मिलित की है. अभी तीन माह शेष है, मुझे पूरा विश्‍वास है कि यह वेब पत्रिका मूर्त्‍तरूप लेगी और इसे सभी महानुभावों का आशीर्वाद एवं सार्थक सहयोग उपलब्‍ध होगा. 

किमधिकम् ।

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