काव्य निर्झरिणी
चलो प्रेम का दूर क्षितिज तक पहुँचाएँ संदेश
शुक्रवार, 2 सितंबर 2022
मंगलवार, 25 जनवरी 2022
सम्पादकीय
नववर्ष 2022 में कुछ कर गुजरने की एक नई सोच के साथ काव्य निर्झरणी में कुछ नया करने के लिए पुन: उद्यत हूँ। एक कदम भी बढ़ायें तो वह सफलता ही मानी जाएगी, चाहे मंजिल मिले या नहीं।
आइये नववर्ष में अपने काव्यमन को शब्द दें, लेखनी को धार दें और समय को काव्य की किसी भी विधा में बाँधें ।
एक विहंगम दृष्टि डालें तो पिछला वर्ष भी संक्रमित ही रहा। किसी भी परिप्रेक्ष्य में लें संक्रमण ने कई उतार चढ़ाव दिखाए और 2022 में भी कोरोना के नए रूप ‘ओमेक्रोन’ ने डरा रखा है। हालाँकि पिछले दो वर्ष हुए टीकाकरण से वह बहुत भयावना नहीं रहा है, जैसा दूसरी लहर में देखने को मिला था।
पर, जीवन नहीं रुकता है, समय की अबाध गति के साथ साथ जीवन भी पीछे मुड़ कर देखे बिना आगे चला जा रहा है। मानव की जिजीविषा का कभी भी मोहभंग नहीं हुआ ।
बच्चों, किशोरो, नवयुवा पीढ़ी ने इस त्रासदी से बहुत कुछ सीखा जैसे, कम्प्यूटर की नई नई तकनीकों को, कोडिंग सिस्टम, वर्क फ्राम होम, वीडियो स्ट्रीमिंग से पढ़ाई, परीक्षा, खेल, अनुसंधान और न जाने क्या-क्या। पर जीने का मोह बदस्तूर जारी रहा।
समाज में भी कई बदलाव देखने को मिले । बालप्रतिभाओं ने नए कीर्तिमान स्थापित किये, नवपीढ़ी ने कम्प्यूटर, संचार माध्यम, मीडिया, फिल्मों, संगीत आदि के क्षेत्र में अपना विस्तार किया है।
समाज की पत्रिका ‘तैलंगकुलम्’ ने सतत अपने दस वर्ष पूर्ण कर रंगीन त्रैमासिक पत्रिका को हर बार एक नए स्वरूप में प्रस्तुत कर लुभाया है। ग्यारहवें वर्ष में उसका स्वागत करने के लिए होने वाला आयोजन भले ही कोरोना संक्रमण के कारण प्रशासनिक सीमाओं प्रतिबद्धताओं का सम्मान करते हुए स्थगति करना पड़ा किंतु अप्रेल में आयोजन की संभावना के साथ सभी में इस आयोजन के लिए उत्साह है।
कितना सुंदर लिखा है एक ब्लॉग ‘झरोखा’ पर-
"चरेवति-चरेवति"
कलिकाल में "चलना" ही धर्म है। सतत प्रयास करते हुए मार्ग पर बढ़ते रहे तो किसी के दिग्दर्शन की जरूरत नहीं होती।
नववर्ष 2022 आपका जीवन चरेवति-चरेवति ऊँचाइयाँ छुए और कुछ सुफल प्राप्त करें।
इति शुभम्
-आकुल
बुधवार, 7 अक्टूबर 2020
सम्पादकीय
साथियो,
प्रवेशांक से पूर्व एक झलक के रूप में पत्रिका का ब्लॉग रूप आपके समक्ष है. 'सान्निध्य स्रोत' का काव्य संस्करण 'काव्य निर्झरिणी' के रूप में आपके अवलोकनार्थ प्रस्तुत है. प्रयास है कि जनवरी-मार्च, 2021 से तैयार की जा रही वेब पत्रिका आरंभ की जाये. ब्लॉग से जुड़ें और इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए इसका अनुसरण करें. अधिक से अधिक समाज बंधुओं को जोड़े. जो तकनीकी क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, उनसे पूछें कि वेब पत्रिका भी समग्र वैचारिक (साहित्य सामग्री) सहयोग से ही सम्पन्न बनती है. इसे बनाना भी कितना दुष्कर है. इसलिए समाज की पहली वेब पत्रिका के लिए मेरी तरह आप भी पहल करें और ज्यादा से ज्यादा सामग्री 'सान्निध्य स्रोत' के फेसबुक पेज पर उपलब्ध करवायें (केवल काव्य). हमारा समाज काव्य सम्पन्न है. सम्पूर्ण संस्कृत वाड्.मय छंदोबद्ध है, इस दृष्टि से हमारे समाज में काव्य का सुप्त सागर है, जिसे दुनिया के समक्ष लाना हे, जो बिना सहयोग के संभव नहीं.इस ब्लॉग में मात्र दो रचनाकारों ने अपना सहयोग दिया है वे हैं जयपुर से श्री भानु भारवि और अहमदाबाद से श्री विभास . शेष मेरे ब्लॉग से अपने सजातीय बंधुओं की रचना सम्मिलित की है. साथ ही 'सान्न्ध्यि स्रोत' के पुराने अंकों में प्रकाशित समाज बंधुओं की रचनायें भी इसमें सम्मिलित की है. अभी तीन माह शेष है, मुझे पूरा विश्वास है कि यह वेब पत्रिका मूर्त्तरूप लेगी और इसे सभी महानुभावों का आशीर्वाद एवं सार्थक सहयोग उपलब्ध होगा.
किमधिकम् ।